Rumored Buzz on Shodashi
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हरिप्रियानुजां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥७॥
The image was carved from Kasti stone, a unusual reddish-black finely grained stone accustomed to vogue sacred visuals. It was introduced from Chittagong in existing day Bangladesh.
Her representation is not static but evolves with inventive and cultural influences, reflecting the dynamic mother nature of divine expression.
Shodashi is deeply linked to The trail of Tantra, where she guides practitioners toward self-realization and spiritual liberation. In Tantra, she is celebrated as the embodiment of Sri Vidya, the sacred knowledge that causes enlightenment.
सा नित्यं मामकीने हृदयसरसिजे वासमङ्गीकरोतु ॥१४॥
Working day: On any month, eighth working day with the fortnight, total moon working day and ninth day of your fortnight are reported for being very good days. Fridays are also Similarly excellent times.
The trail to enlightenment is frequently depicted as an allegorical journey, with the Goddess serving since the emblem of supreme ability and Electricity that propels the seeker from darkness to light-weight.
She is depicted by using a golden hue, embodying the radiance from the rising Solar, and is commonly portrayed with a third eye, indicating her wisdom and Perception.
भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा click here ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
लक्ष्या या चक्रराजे नवपुरलसिते योगिनीवृन्दगुप्ते
यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।
Her purpose transcends the mere granting of worldly pleasures and extends into the purification in the soul, leading to spiritual enlightenment.
भर्त्री स्वानुप्रवेशाद्वियदनिलमुखैः पञ्चभूतैः स्वसृष्टैः ।
साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥